मांगलिक दोष
मांगलिक दोष क्या है ?
मांगलिक दोष एक ज्योतिषीय अवगुण है जो हिंदू विवाह शास्त्र में पाया जाता है। यह दोष वह समय होता है जब कुंडली में मंगल ग्रह (मंगल या मार्स) किसी विशेष स्थान पर स्थित होता है जिससे कुंडली में कुछ अनिष्ट योग हो सकते हैं। मांगलिक दोष को मांगलिक योग, मंगल दोष, या कुज दोष के नाम से भी जाना जाता है।
मांगलिक दोष को कुछ लोग विवाह शास्त्र में बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं, जो कुंडली में इस दोष का समाधान नहीं करते हैं तो वे विवाह के लिए अनुकूल नहीं माने जाते हैं। यह दोष विवाह के गुण मिलान या कुंडली मिलान के दौरान देखा जाता है और इसे निकालने के लिए कुछ उपाय भी सुझाए जाते हैं।
मांगलिक दोष केसे होता है
1. मंगल ग्रह कुंडली में चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, द्वादश भाव, या अंशकोण भाव में स्थित होने पर दोष होता है।
2. कुंडली में अन्य ग्रहों के साथ मंगल के दोषपूर्ण संयोग होने पर भी मांगलिक दोष हो सकता है।
3. अगर दोनों पति-पत्नी की कुंडली में मांगलिक दोष होता है, तो इसे मंगलिक परिवार को ही विवाह करना चाहिए, ताकि यह दोष समाप्त हो सके।
4. कुंडली में मंगल की शांति न करने पर भी यह दोष प्रभावित रह सकता है।
इसे दोष के रूप में देखने वाले लोग कुंडली मिलान के दौरान समझौते कर सकते हैं, या फिर विशेष उपाय करके इसे निवारण कर सकते हैं। यह उपाय विवाह के बाद भी किए जा सकते हैं। धार्मिक और सांस्कृतिक विश्वासों में, मांगलिक दोष का खास महत्व होता है, लेकिन विज्ञान और लॉजिक के धाराप्रवाह दृष्टिकोण से, इसका वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
मांगलिक दोष का निवारण क्या है-
मांगलिक व्यक्ति से विवाह करना: एक सुप्त मांगलिक को एक सुप्त मांगलिक से ही विवाह करना शुभ माना जाता है। इससे दोष का प्रभाव कम होता है।
मांगलिक विवाह रिमेडीज: ज्योतिषाचार्यों द्वारा कुंडली में मांगलिक दोष का उपचार करने के विभिन्न उपाय बताए जाते हैं। कुछ प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं:
- मांगलिक विशेष उपासना और मंत्र जाप करना।
- अनुष्ठान या पूजा करना, जिसमें विवाह मंत्रों का पाठ करना शामिल होता है।
- दान करना: दान के माध्यम से धार्मिक या अनाथ लोगों की सहायता करना।
- मांगलिक रत्न धारण करना: ज्योतिषाचार्यों के सुझावों के अनुसार मांगलिक रत्न (मूंगा, लाल मोती आदि) धारण करना।
ज्योतिष यंत्र: कुछ विशेष ज्योतिष यंत्रों का उपयोग भी मांगलिक दोष के निवारण के लिए किया जा सकता है।