Kaal Sarp Dosh Pooja Ujjain

महामृत्युंजय जप

महामृत्युंजय जप

महामृत्युंजय जप: महामृत्युंजय जप एक प्राचीन हिंदू प्रथा है जिसे वेदों में स्थान मिला है। इस जप का मुख्य उद्देश्य जीवन की सुरक्षा और दीर्घायु की प्राप्ति के लिए भगवान शिव की कृपा अर्जित करना है। यह जप भगवान शिव के एक विशेष मंत्र “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌ उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌” का जाप किया जाता है। यह जप सन्ध्या काल में ब्रह्मा मुहूर्त में किया जाना अधिक प्रासंगिक माना जाता है।

इस जप को करने के लिए एक यज्ञोपवीत धारी, पवित्र वस्त्र धारी, और स्नान करके शुद्ध होने की आवश्यकता होती है। एक स्थिर आसन पर बैठकर यह जप किया जाता है, और माला या बेलपत्र के साथ जप किया जाता है।

यह जप शिव पुराण में एक अत्यंत महत्वपूर्ण मंत्र माना जाता है, जो अस्तित्व और अविनाशीता का प्रतीक है। इस मंत्र का नियमित जाप करने से शिवजी अपनी भक्तों की रक्षा करते हैं और मृत्यु के भय को दूर करते हैं। इसके जप से मनुष्य के शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है और उसके मस्तिष्क की क्षमता बढ़ती है।

महामृत्युंजय जप के लाभ:

1. दीर्घायु: महामृत्युंजय जप करने से जीवन की अवधि बढ़ती है और बीमारियों से बचने की शक्ति मिलती है।
2. सुख-शांति: इस जप का नियमित अभ्यास करने से भगवान शिव की कृपा से सुख, शांति और समृद्धि का आनंद मिलता है।
3. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य: यह जप शारीरिक और मानसिक रोगों के उपचार में मदद करता है और मन को शांति प्रदान करता है।
4. निराकार ब्रह्म का अनुभव: जप के द्वारा ध्यान का अभ्यास करने से व्यक्ति निराकार ब्रह्म का अनुभव कर सकता है और आत्मानुभूति की प्राप्ति होती है।

Scroll to Top